Uncategorized

अमेरिकी प्रतिबंधों से रिलायंस की रूसी तेल खरीद पर असर

अमेरिका की ओर से रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर लगाए गए नए प्रतिबंधों का असर भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की कच्चे तेल की खरीद पर पड़ सकता है। रिलायंस , जो रूस से भारत की कुल 1.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन आयात का लगभग आधा हिस्सा खरीदती है। इसे अब अपनी तेल खरीद रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है, क्योंकि वह सीधे रूस की कंपनी रोजनेफ्ट से कच्चा तेल खरीदती है।

सरकारी तेल कंपनियों को नहीं लगा बड़ा झटका

वहीं, सरकारी तेल कंपनियों के लिए फिलहाल बड़ा झटका नहीं दिख रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां (PSUs) अपने अधिकांश सौदे यूरोपीय ट्रेडर्स के माध्यम से करती हैं, जो अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आते। इन कंपनियों ने बताया कि वे अनुपालन जोखिमों का आकलन कर रही हैं, लेकिन निकट भविष्य में रूसी तेल की आपूर्ति को पूरी तरह रोकने की संभावना कम है।

रिलायंस और रोसनेफ्ट का समझौता

रिलायंस ने दिसंबर 2024 में रूस की कंपनी रोसनेफ्ट के साथ एक सावधिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे अब मंजूरी मिल गई है। इसके तहत वह 25 वर्षों तक प्रतिदिन 5,00,000 बैरल रूसी तेल आयात करेगी। यह बिचौलियों से भी तेल खरीदती है।

अमेरिका ने रूस रिफाइनरी पर लगाया प्रतिबंध

अमेरिकी वित्त मंत्रालय के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (ओएफएसी) ने ओपन ज्वाइंट स्टॉक कंपनी रोसनेफ्ट ऑयल कंपनी (रोसनेफ्ट) और लुकोइल ओएओ (लुकोइल) पर और अधिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। ये रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियां हैं जिन पर ट्रम्प प्रशासन ने यूक्रेन में क्रेमलिन की “युद्ध मशीन” को वित्तपोषित करने में मदद करने का आरोप लगाया है।

दोनों कंपनियां मिलकर प्रतिदिन 31 लाख बैरल तेल निर्यात करती हैं। रोजनेफ्ट अकेले वैश्विक तेल उत्पादन का 6 प्रतिशत और कुल रूसी तेल उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा निर्यात करती है।

मास्को द्वारा 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है, जिसने पश्चिमी खरीदारों के हटने के बाद मिली भारी छूट का लाभ उठाया है।

Related Articles

Back to top button